नवम्बर के महीने में,
ये मुसलसल बरसात,
लगता है खुदा की भी माशूक,
आयी है लौट कर दूर से कहीं,
तभी आज चाँद भी कुछ बड़ा नज़र आता है,
थोड़ा और करीब आ गया हो मानो,
जी करता है बस बढ़ा के हाथ,
भर लूँ ओक में उसको,
कहीं फ़िर सुबह ना हो जाये.........
fratello inglese perfavore
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