ये सभी रचनाएं मेरे अत्यंत करीब हैं,
कलम से कल्पना नही सीख पाया हूँ अभी,
जो कुछ भी लिखा है,
सब आप बीती ही है,
Monday, November 1, 2010
किस ओर जा रही है ये ज़िन्दगी ऐ खुदा,
है इस क्या इस दर्द का हिसाब तू बता,
कहते हैं बस एक सफ़र इसको,
तो फ़िर है क्या मेरी मन्ज़िल ये बता,
अगर ये सब नाते झूठे ही हैं,
तो मैं मानूं क्यों तुझे भी ये बता
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