Monday, October 18, 2010

चिराग

उतरा जो इश्क का भूत तो लुटा कारवां देखो,
एक बुझे हुए आशिक की कब्र पे ये जलता हुआ चिराग देखो,
कहते हैं कोई दीवानी आके जला जाती है,
देखा नहीं आज तक किसी ने,
बड़ी रूहानी दीवानी है ?

अरे मूरख उठा के देख ज़रा नज़रें,
तेरी कब्र पे कोइ नहीं रोता है,
कम स कम एहसान तो मान उस बन्जारे का,
जो वहां सोता है,
उसकी सुलगती चिलम से थोड़ी रोशनी तो हो जाती है,
 
मुगालता ही सही,
मरने के बाद ही सही,
पर दुनिया तेरी मोहब्बत का नाम तो लेती है,
और क्या चाहता था तू सच्ची आशिकी से ?
 ..............जो ये झूठी रोशनी नहीं दे पाती है ?

1 comment:

  1. kahi kahi koi line achchi likhi hui hai. phir bhi aap kahna kaya chahte hai samajh me nahi aya.

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