ये सभी रचनाएं मेरे अत्यंत करीब हैं,
कलम से कल्पना नही सीख पाया हूँ अभी,
जो कुछ भी लिखा है,
सब आप बीती ही है,
Monday, October 11, 2010
याद है
एक रोज़ कहीं जाने के लिये तैयार थीं तुम, और तभी मेरी कमीज़ का एक बटन टूट गया, याद नहीं उस कमीज़ का रंग भी मुझको, पर उस टाँकें का निशान वहीं मेरे सीने पे ही छूट गया।
superb..ultimate..
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